सेहत – शरीर पर हो घाव तो इस इंजेक्शन को लगवाएं डिफ्रेंस, गर्भवती महिलाएं और व्यापर वाले बचकर रहें

क्या सब्जी बनी आपका कभी हाथ कटा है? क्या है चूड़िया मेकअप कभी होता है कांच का चश्मा? क्या चलते रहे कभी पैर में कील घुसेड़ते हुए? अगर हां तो डॉक्टर ने आपको कभी ना कभी टाइटनेस का इंजेक्शन जरूर लगाना होगा। आम लोग टिटनेस के बारे में बस इतना जानते हैं कि चोट लगने पर इसकी टिप्पणियाँ जरूरी हैं लेकिन शायद यह नहीं पता कि यह एक जानलेवा बीमारी है। अन्य विश्व इन डेटा (डेटा में हमारी दुनिया) ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक हर साल दुनिया में 50 हजार लोगों की मौत टाइटन्स के संक्रमण से होती है। अब तक इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है.

मांसपेशियाँ दस्तावेज़ने दिखती हैं
सुरभि हॉस्पिटल के शैक्षणिक चिकित्सा विभाग में वरिष्ठ सलाहकार डॉ.अभिषेक वालिया उन्होंने बताया कि टिटनेस का संक्रमण ‘क्लॉस्ट्रिडियम टेटानी’ नाम से बदनाम होता है। यह स्टेरॉयड नर्वस सिस्टम पर हमला करता है। इसमें बदन दर्द होता है और मांस पेशियां जिल्दकर ऐंठन दिखाई देती हैं। कई बार तेज बुखार भी होता है. अगर समय पर इलाज हो जाए तो यह संक्रमण 2 से 4 महीने में ठीक हो जाता है।

संक्रमण ऐसे ले सकते हैं जान
डॉ.अभिषेक वालिया जब भी चोट लगे तो टाइटन्स का इंजेक्शन जरूर लगाना चाहिए। टिटनेस का चार्ट अगर मुंह की मांसपेशियों पर हमला करता है, तो यह जान तक ले सकते हैं। इस मुंह की मैसेटर नाम की मिस्ट जिल्द जिसे मेडिकल भाषा में कहा जाता है लॉक जॉ कंडीशन कहा जाता है. इससे इतनी समानता होती है कि शांति पृथ्वी तक नहीं मिलती।

चोट के 24 घंटे अंदर टिटनैस का इंजेक्शन लेना जरूरी है। (छवि-कैनवा)

आसानी से ख़त्म नहीं होता खंड
पेन चिकित्सा टिटनेस के अनुसार मिट्टी, कूड़ा-कचरा और अपशिष्ट पदार्थ के अवशेष मौजूद होते हैं। हवा के माध्यम से इस लेबल पर किसी भी वस्तु की सतह पर बैठा जा सकता है। यह पुस्तक 40 वर्ष से अधिक समय तक जीवित रह सकती है। ऑक्सीजन ना होने पर यह तेजी से बढ़ता है। इस 120 डिग्री तापमान में भी विनाश नहीं होता। ज्यादातर दुआ भी इन पर असरदार नहीं होती. इस पुस्तक का प्रभाव तब होता है जब यह त्वचा पर किसी तरह का कट लगता है या घाव हो जाता है।

3 से 21 दिन में दिखे ये लक्षण
टाइटन्स का जहर सेंट्रल नर्वस सिस्टम में यूरोट्रांसमीटर का काम प्रभावित होता है। इस जहर से मसल्स की एक्टिविटी इंस्टालेशन होती है और दिमाग सही ढंग से सुचारू रूप से से मैसेज तक नहीं पहुंच पाता है। आसान शब्दों में तो इंसान को मार दिया जाता है. कई बार व्यक्ति को दौरे पर भी प्रस्तुत किया जाता है। मायो क्लिनिक इसके अनुसार इस संक्रमण के लक्षण 3 से 21 दिनों में सामने आते हैं। इंफेक्शन का असर बढ़ता ही जा रहा है, इंसान को बहुत ज्यादा दर्द होता है, खून खराब होता है और दिल की धड़कन तेजी से बढ़ती है। कई बार इस वजह से दिल भी काम करना बंद कर देता है और कार्डियक असिस्टेंट से अपना पर्सनल जान गंवा देता है।

4 तरह का होता है टिटनेस इंफेक्शन
टिटनेस के संक्रमण 4 तरह के होते हैं। लोकलाइज़ टाइटनीज़ में शरीर के जिन हिस्सों में संक्रमण होता है, उसका असर सिर्फ जहाँ तक रहता है। सामान्य विधियाँ पूरे शरीर पर प्रभाव डालती हैं। सेब्रल टिटनेस सिर, गले और चेहरे की संरचना को प्रभावित करता है और नियोनेटल टिटनेस नवजात शिशु में मां को टीका, नाक की लंबाई की वजह से हो सकता है।

कई बार टिटनेस का इंफेक्शन इंजेक्शन की सुई की वजह से भी होता है। (छवि-कैनवा)

जानवरों के काटने पर टाइटन्स का इंजेक्शन जरूरी
अगर किसी ने बिल्ली, कुत्ता, बंदर या किसी कीड़े ने काटा हो, तो उन्हें रेबीज के साथ टिटनैस का इंजेक्शन 24 घंटे के अंदर जरूर लगाना चाहिए। असल में यह चीज़ जानवरों के मुंह में भी हो सकती है। यही नहीं, अगर कील, कांच, नाक, पत्थर या सुई से चोट लगे या खराब हो, तो भी इसकी टिप्पणियाँ जरूरी हैं। मायो क्लिनिक चोट लगने पर भी हर व्यक्ति को 10 साल में यह इंजेक्शन लगाना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति की इम्युनिटी बूस्ट होती है और अगर टाइटन्स का ब्रांड बॉडी में एंट्री कर जाए तो वह बदनाम हो जाता है।

वर्कर वाले बचकर बने रहें
टिटनेस का कड़वी बुजुर्ग लोगों और चूहों के शरीर में जल्दी ही फैलाव होता है। असलहों के मरीज को अगर चोट लग जाए तो उनका घाव जल्दी से भरता नहीं है। ऐसे में उन्हें टिटनेस का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।

अंतिम चरण में बच्चे को खतरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्गीकरण के अंतर्गत सूचीबद्ध विविधता वाले बच्चों पर भारी पड़ सकता है। ब्रेड में एमलाइकल कार्ड यानी गर्भनाल कटर के दौरान 90 प्रतिशत बच्चों की जान चली गई। कई बार मां से बच्चे को टाइटनेस के दौरान भर्ती किया जा सकता है। इसलिए भर्ती के पहले 3 महीने में ही महिला को टाइटन्स टॉक्साइड की 2 खुराक दी जाती है। इससे बच्चा गर्भनाल के माध्यम से सुरक्षित रहता है।


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