सेहत – महिलाओं में तेजी से बढ़ रहे स्तन कैंसर के मामले, वे अपनी बीमारी की जांच खुद कर सकती हैं – News18 हिंदी

पाली . कठोर जीवन शैली और खुद के शरीर पर ध्यान न देने के कारण लगातार ब्रह्मांड में कैंसर का खतरा बढ़ रहा है। राजस्थान इस वक्त सूची क्रमांक पर है। कैंसर की आबादी के बीच कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। विशेषज्ञ डॉक्टर अनु राजपुरोहित की माने तो आठ साल की एक महिला को कैंसर की शिकायत है। एक साल में दो लाख से ज्यादा महिलाओं में कैंसर का खतरा सामने आ रहा है। यह बेहद ही आकर्षक है. विशेष रूप से यह खतरनाक ग्रामीण परिवेश की महिलाओं को सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। अनु राजपुरोहित की जातियां तो समष्टिगत परिवेश में स्वयं महिलाएं अपने स्तर से घर पर ही प्रवेश कर सकती हैं।

हर साल 1 लाख 78 हजार नए केस सामने आ रहे हैं
देश में 14,61,427 कैंसर रोगी, सबसे ज्यादा 2,10,958 उत्तर प्रदेश में, राजस्थान में 74,725 कैंसर मरीज देश में कैंसर के मरीज 7वें स्थान पर हैं। राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्रीकरण कार्यक्रम के तहत 2022 में देश में 14,61,427 कैंसर रोगी मांगे गए हैं। राजस्थान में कैंसर तेजी से आपके पैर पसार रहा है। मुंबई जैसे महानगर में बार्सिलोना तक कैंसर की जांच से लेकर इलाज कराने वाली कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अनु राजपुरोहित की माने तो राजस्थान प्रदेश में हर साल 1 लाख 78 हजार से ज्यादा नए मरीज़ कैंसर के सामने आ रहे हैं। जीवन शैली के कारण महिलाओं में विकार कैंसर का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है।

हर साल 2 प्रतिशत की दर से वृद्धि के आँकड़े आ रहे हैं
कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अनु राजपुरोहित ने लोकल 18 से खास बातचीत करते हुए बताया कि स्थिर दायरे में कोई भी मरीज या महिला अपना खुद का परीक्षण कर सकती है। इसके लिए बस की जरूरत है. इससे संबंधित कैंसर से बचा जा सकता है। यह डाटाबेस मालिक सही है कि हर साल 1 लाख 78 हजार नए कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं। यह हर साल दो प्रतिशत की दर से बढ़ रही है, 2030 तक यह पात्र 2 लाख हो जाएगा। राजपुरोहित ने कहा कि महिलाएं खुद अपना दस्तावेज लेकर इस बीमारी से बच सकती हैं।

गांव की महिलाओं से बातचीत होती है तो भागने के मौके कम मिलते हैं
डॉ. अनु राजपुरोहित ने कहा कि गांवो में यह समस्या सबसे अधिक दिखाई दे रही है। गांव की महिलाओं की शर्मिंदगी की वजह आपकी सबके साथ शेयर नहीं होती, इस वजह से डॉक्टर के पास नहीं जा पाते हैं लोग। इससे उनके ठीक होने के चांस भी काफी कम हो जाते हैं। इसलिए हमारी जिम्मेदारी किसी भी गांव की महिलाओं से संपर्क करें। खुद से अपनी स्क्रीनिंग कर महिलाएं खुद ही डॉक्टर के पास पहुंच सकती हैं।


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