सेहत – हृदय मोटापा, फेफड़े और मस्तिष्क भी हो सकते हैं खराब! समय रहते ऐसे करें आरक्षण, लंबी उम्र से लेकर अलेक्जेंडर तक
मोटापा कम करने के उपाय: मोटापा हमारी सेहत के लिए बेहद खतरनाक होता है। इससे कई गंभीर खतरे का खतरा बढ़ जाता है। एफ़एफ़ से ऑक्सफ़ोर्ड, हाई ब्लड फ़्लोरिडा और मरीज़ों सहित कई खतरनाक डिज़िज़ का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। स्वास्थ्य मधुमेह की खुराक से मोटापा हृदय, फेफड़े, मस्तिष्क, धमनी और आंखों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। लोगों को सही सामग्री और असमानता पर ध्यान देने के लिए कम करना चाहिए। इसके अलावा अच्छी लाइफस्टाइल के लिए भी उपयुक्त स्थान का उपयोग अत्यंत आवश्यक है। आज आपको पता चलेगा कि मोटापा कितना खतरनाक हो सकता है।
पीजीआई चंडीगढ़ के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. नैन्सी साहिनी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मोटापा इंफर्टिलिटी और ग्रुप लिवर में शामिल होना का कारण बन सकता है। पेट पर जमा चर्बी अधिक खतरनाक होती है, क्योंकि इससे हृदय और अन्य जरूरी अर्गन पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। बड़ी संख्या में लोग अनहेल्दी कॉन्ट्रिब्यूशन, इलाइथिलीन एक्टिविटी की कमी, मेट्रिक्स और टोकर्ड फूड्स, शुगरी ड्रिंक्स का सेवन करने से इन्फेक्शन का शिकार हो रहे हैं। शानदार हुई लाइफस्टाइल की भी एक बड़ी वजह हो सकती है। अगर खान-पान पर ध्यान दिया जाए, तो ग्राफ से काफी हद तक राहत मिल सकती है।
इंस्ट्रुमेंटिशियन ने बताया है कि प्लास्टर मोल्डिंग के मिश्रण से हर दिन लगभग 150 लाख लोगों को प्लांट लगाने के तरीके बताए जाते हैं और उनके इंजेक्शन बनाने में मदद मिलती है। मोटापा जांच स्वास्थ्य के लिए बड़ी समस्या बन गई है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार सर्वेक्षण के अनुसार चंडीगढ़ में 44 प्रतिशत महिलाएं और 38 प्रतिशत पुरुष आबादी प्रभावित हैं। एक अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि चंडीगढ़ के जंगलों में बच्चों की संख्या 40 प्रतिशत से अधिक है और लड़कियों का वजन चूहों से कहीं अधिक है। ऐसे में शुरू से ही लोगों को अपनी सेहत का ख्याल रखना जरूरी है।
पीजीआई चंडीगढ़ के एंडोक्रोनोलॉजी और मेटाबॉलिज्म डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आशु रस्तोगी के अनुसार महिलाओं में असंगठित और असंगठित पुरुषों के लिए खतरा 1.5 गुना अधिक होता है, क्योंकि वे घर के काम को लक्ष्य नहीं बनाते हैं। गर्भावस्था के दौरान जिन महिलाओं को जेस्टेशनल चूहों की समस्या होती है, उन्हें और इससे संबंधित खतरों से बचने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। ऐसे मामलों में शारीरिक व्यायाम और नाटकीय आहार की आदतें और भी जरूरी हो जाती हैं, ताकि मां और बच्चे दोनों का स्वास्थ्य सही बने रहे।
डॉ. रस्तोगी महिलाओं को सलाह दी जाती है कि सभी महिलाओं को सप्ताह में कम से कम 150 मिनट का समय चाहिए या अन्य गतिविधियाँ सक्रिय करनी चाहिए। इसमें एक घंटे में 5 किमी की सैर और कुछ राजिस्टेंस ट्रेनिंग शामिल है जो बहुत ही शानदार है। सिर्फ 5 से 7 प्रतिशत वजन कम करने से भी कई स्वास्थ्य कंडीशन में सुधार ला सकते हैं। मोटापा न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डाल सकता है। ब्रेन फैन्टिंग कम हो सकती है और डाइमेंशिया जैसी बीमारियां हो सकती हैं। फेफड़ों की क्षमता प्रभावित होती है और आंखों की सेहत पर भी असर पड़ता है। इससे अन्य बीमारियों के बढ़ने के साथ-साथ हार्ट डिजीज का खतरा भी बढ़ जाता है।
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पहले प्रकाशित : 30 नवंबर, 2024, 10:42 IST
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