सेहत – छोटे बच्चों में सुसाइड इंजीनियर की वृद्धि क्यों बढ़ी? बेट ने बताई असली वजह

राजकोट: आज के दौर में बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों में चिंता का स्तर तेजी से बढ़ता जा रहा है। चिंता के कारण आत्महत्या की घटनाएं भी तेज़ हो रही हैं, और छोटे बच्चे भी आत्महत्या के रूप में गंभीर कदम उठाते हुए पीछे नहीं हटते। ऐसे में सवाल यह है कि बच्चों में आत्महत्या के पीछे क्या कारण हो सकते हैं? इस पर मनोविज्ञान के एक विशेषज्ञ ने महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है।

आत्महत्या की बीमारी के कारण
लोक 18 से बातचीत करते हुए मनोचिकित्सक विशेषज्ञ डॉ. योगे जोगासन ने बताया कि आत्महत्या के बढ़ते मामलों के पीछे कई सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और आर्थिक कारण हो सकते हैं। आज के आधुनिक युग में बच्चों में कम उम्र में ही चिंता और दबाव देखने को मिलता है, और अध्ययन से भी यह बात सामने आती है कि यह उनके लिए आत्महत्या का कारण है।

बच्चों पर माता-पिता के व्यवहार का प्रभाव
डॉ. जोगासन ने कहा कि बच्चों पर माता-पिता के व्यवहार पर गहरा असर पड़ता है। कई बार माता-पिता अपने बच्चों की तुलना करते हैं, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं और अवसाद का कारण बनते हैं। परिणामस्वरूप बच्चे आत्महत्या जैसे खतरनाक विचारों की ओर आकर्षित होते हैं। इसके अलावा, फास्ट फूड में मौजूद रासायनिक रसायन बच्चों के दिमाग पर असर डालते हैं, जिससे कम उम्र में ही उनके वैज्ञानिक पहलू का पता चल जाता है। नींद की कमी, इंटरनेट का अधिक उपयोग और माता-पिता का व्यवहार भी इसके लिए जिम्मेदार हैं।

बच्चों को आत्महत्या के विचार से दूर रखने के उपाय
अधिकांश बच्चे अपने आसपास के वातावरण से प्रशिक्षित होते हैं, इसलिए उनके सामने ऐसा कोई व्यवहार नहीं होना चाहिए जिसका सीधा असर उनके दिमाग पर हो। टीवी और इंटरनेट से बच्चों के मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है, इसलिए उन्हें अवयस्क दूर रखना चाहिए।

बच्चों के पालन-पोषण में माता-पिता की भूमिका
माता-पिता को बच्चों का पालन-पोषण करना चाहिए। अक्सर देखा जाता है कि बच्चों के साथ माता-पिता काम करते हैं, जिससे बच्चों पर बुरा असर पड़ता है। माता-पिता को अपने बच्चों के साथ समय बिताना चाहिए, ताकि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े। बच्चों को अलग-अलग साझेदारी में साझा रखना और बाहर के फास्ट फूड से दूर रखना भी जरूरी है।


Source link

Back to top button