सेहत – खतरा लेने वालों पर झुंझलाएं नहीं, इन लोगों को भी हो सकता है हार्ट अटैक, सॉल-सोते जा सकते हैं कभी जान
खतरा लेने वालों को गुसासा करने के बजाय उनका इलाज कराएं। खतराटे सामान्य बीमारी नहीं बल्कि हार्ट अटैक या टूरोक का बड़ा कारण है।
अगर आपके घर में कोई शैतानी मजाक करता है और आप इस आदत पर हंसते हैं या मजाक उड़ाते हैं तो आपको संजीदा होना चाहिए। ऐसा ही एक मृत प्राणी पर खड़ा हुआ है। खतराटे और लेने वाले इलेक्ट्रिक्स को हार्ट अटैक से लेकर ब्रेन डैमेरोक सदन कार्डिएक अरे का खतरा सामान वाले लोगों के बीच काफी आम है। हेल्थ एक एलएलसी पार्ट की सलाह तो सीवियर खराटे लेने वाले लोगों की सोल्यूशन-सोते जान भी जा सकती है। आशय यह है कि कोई साधारण बीमारी नहीं है, बल्कि गंभीर समस्या है।
एम.एन.एल.एन.एफ के पूर्व चेतावनी पल्मोनरी क्रिटिकल केयर एंड मेडिकलीप मेडिसिन व्ही स्टेप्स पीएस आरआईटीएस, बेसिक्स डॉ. जीसी खिलनानी कहते हैं कि जो लोग ख़तरा करते हैं, वो कहते हैं कि जो लोग ख़तरा करते हैं, वो किस बीमारी से पीड़ित हैं? यह एक कॉमनवेल्थ है. खराटे का मतलब होता है कि जिन लोगों की आदतें छोटी होती हैं, मोटापा होता है, टोन्डसिल बड़े होते हैं और कई कारण होते हैं तो जब रात में अकेले समय मिलते-जुलते होते हैं, रिलेशन में रहते हैं तो हवा का प्रवाह कम होता है हो जाता है. अब जैसी-जैसी गहरी नींद होती है उनका खतरा बढ़ता जा रहा है। इससे लंग शॉक, ब्रेन और हार्ट ही नहीं पूरे शरीर में ऑब्जिज़न कम चुना जाता है। इन लोगों की नींद भी बार-बार टूटती है। रात में बार-बार मुँह सुखता है। दिन में बार-बार नींद के आ जाते हैं.
ये होती हैं बीमारी
डॉ. खिलनानी ने लिखा है कि मस्तिष्क और हृदय ही शरीर के विकलांग अंग नहीं हैं जब तक कि ऑरिजिन कम अपॉइंटमेंट की वजह से ऐसे कलाकारों को बहुत सारे हेलथ ईशप्यूज हो जाते हैं जो काफी गंभीर हैं..जैसे..
. ब्रेन आर्टिस्टोक
. दिल का दौरा
. सदन कार्ड कार्ड एक अरे माइक्रोसॉफ्ट
. डाइमेंशिया में लैंग टर्म
. एक्सीडेंट
. हाई स्कूल लॉज
ये हैं खतरा के कारण
डॉ. कहा जाता है कि खराटे की सबसे बड़ी टोली लोगों में देखने को मिलती है। 70 से 80 प्रतिशत मोटे लोग ख़तरा करते ही हैं। जिन लोगों का पेट मोटा होता है, गर्दन मोटी होती है, गले के अंदर मोटापा जमा होता है, जिन लोगों का पेट मोटा होता है, उन लोगों का पेट मोटा होता है। इसके अलावा नाक की हड्डी का टेढ़ा होना या सर्दी की वजह से सांस लेने में भी रुकावट होती है और खटास आती है।
खर्राटे का इलाज क्या है?
. वेट लॉस- खतरा बंद करने का सबसे आसान और जरूरी उपाय है कि आप अपना वजन कम कर लें। जैसे ही वज़न घटेगा, ख़तरा भी कम हो जाएगा।
. सी पैप मशीन- सोते समय नाक और गले के ऊपर सी पैप (निरंतर सकारात्मक वायुमार्ग दबाव)मशीन दवाब हैं। यह मशीन नींद की गहराई तक आने पर भी हवा के झोंके को ठीक बनाती है। इस रसायन को नींद में भी अच्छा माना जाता है, नींद को भी शरीर में ठीक किया जाता है, सुबह वह परीक्षण करता है और उसे इस तरह के स्वास्थ्य के खतरे नहीं रहते हैं।
. न- खतरों का तीसरा इलाज है ऑपरेशन। मनुष्य किसी के भी टॉन्सिल के कण बड़े पैमाने पर होते हैं, गले का डायमेंशन ऐसा होता है कि हवा का प्रवाह नहीं पहुंच पाता है, इसलिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। ई-कंपनियां ये ऑपरेशन करती हैं.
. डेंटल ए प्लास्टिक साइंसेज- चौथे इलाज के रूप में डेंटल ए प्लास्टिक कैंसर दवा भी इस्तेमाल की जाती है, हालांकि हर एक मरीज के लिए अलग-अलग ए प्लास्टिक कैंसर दवा की जरूरत होती है। इससे जबड़ा थोड़ा आगे बढ़ जाता है और खतरा कम हो जाता है और बार-बार नींद लेने वालों की कमी हो जाती है यानी दवा लीप एपनिया में राहत मिल जाती है। हालाँकि ये माई फ़्राई केसेज़ में ही रेज़्यूमे होते हैं। सीवियर मामलों में ये ए प्लास्टिक साइंसेज सप्लाइज़फुल नहीं हैं।
कलाकारों में भी खटास है बड़ी परेशानी
डॉ. खिलनानी कहते हैं कि सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि इस बीमारी से लोग चिंतित हैं। अमेरिका में एक अनारक्षित दंत चिकित्सक का कारण है ये बीमारी। रात भर जो लोग खर्राटे लेते हैं या फिर स्लीप एपनिया की वजह से सो नहीं पाते हैं, वे दिन में गाड़ी चलाते हैं और झपकी के साथ एक निष्कर्ष पर पहुंचते हैं। ऐसे में ये बीमारी कई मायनों में सामान्य समान दिखती है, वैसी नहीं है, इसके परिणाम खराब हैं।
पहले प्रकाशित : 7 सितंबर, 2024, 10:17 IST
Source link