गन्ना की खेती और गन्ना उधोग बचाने के लिए गन्ना किसानों को विशेष संरक्षण दे सरकार: किसान महासभा
बेतिया। अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला अध्यक्ष सुनील कुमार राव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आवेदन भेजकर कहा है कि किसान व राज्य में गन्ना उधोग को बचाने के लिए गन्ना किसानों को विशेष संरक्षण देने व गन्ना मूल्य 600 रूपया प्रति किवंटल करने की मांग किया है। ईमेल से भेजें गए आवेदन में उन्होंने लिखा है कि राज्य के गन्ना किसान आजादी के बाद सबसे बुरे दौर से गुजर रहे है। नियम के विपरीत बिना गन्ना मूल्य तय किये चीनी मिलें गन्ना पेराई सत्र 2024-25 शुरू कर दिया है। रबी फसलों को बोने के लिए किसान अपने रैटून (खुट्टी) गन्ना चीनी मिलों में गिराने के लिए मजबुर है। गन्ना मूल्य 600/- रूपये प्रति किवन्टल करने की किसानों की माँग पूरा करना वक्त की माँग है लेकिन न चीनी मिलें न आपकी न्याय के साथ विकास करने की बात कहने वाली सरकार ने इस पर विचार किया है। अगर महँगाई और लागत खर्च के अनुसार गन्ना मूल्य तत्काल घोषित नहीं हुआ तो किसान गन्ना की खेती से अपना मुख मोड़ लेंगे। कभी 27 चीनी मिलें राज्य में गन्ना पेराई करती थीं। आज मात्र 09 चीनी मिलें चल रही है।
किसान नेता ने कहा कि चीनी मिलों में जाने वाला एक भी गन्ना लदा ट्रेलर/टायर नहीं होगा जो गन्ना किसानों के खुन के आँसू से नहीं भिंगा हो। ऐसे में राज्य के गन्ना किसानों के दुःख दर्द को गम्भीरता पूर्वक विचार करने व समझने की वक्त की माँग है।आपकी सरकार द्वारा चीनी मिलों के संरक्षण व आधुनिकीकरण के नाम पर हजारों-करोड़ों रूपया वर्ष 2006-07 से अब तक सब्सिडी, बिना ब्याज का कर्ज व अन्य कई रूप में दिया गया है। फिर भी चीनी मिल मालिक ऐसे सौदागर बने हुए है, जो किसानों को 365 दिन सोने की अण्डा देने वाली मुर्गी समझ उसे कत्ल कर एक ही दिन में अण्डा निकालने जैसा व्यवहार में लगे हुए है।
किसान महासभा के जिला अध्यक्ष ने कहा कि गन्ना किसानों की दुखद कहानी उस अंग्रेजी निजाम के लूट और जूल्म से अधिक पिड़ादायी हो गई है, जो नील की खेती करने वालों पर करते थे। चीनी मिलें किसानों के गन्ना चालान निर्गत करने, गुपचुप तरीके से 10 प्रतिशत तक वनज कटौती करने, गन्ना रिकवरी चोरी करने, गन्ना प्रभेद लगवाने और रिजेक्ट करने, गन्ना मूल्य तय करने व भुगतान करने में मनमानी ढंग से केन एक्ट का उल्लघंन करने में नीचे से ऊपर तक सिविल एवं क्रिमिनल कोर्ट तक अपने गैर-कानूनी सामर्थ्य का उपयोग करते है। केन पदाधिकारी, थाना, जिला प्रशासन, केन कमिशनर से लेकर सरकार के मंत्री तक किसानों को सुनने के बजाय चीनी मिलों के कारिन्दे जैसा व्यवहार करते है। उन्होंने बताया कि अंग्रेजों के जमाने का चीनी मिलों के संरक्षण के लिए बने गन्ना का रिजर्व एरिया कानून सी० रंगराजन समिति के इस अनुशंसा कि किसानों को आजाद किया जाय वह अब भी नहीं लागू है। गन्ना किसानों के साथ चीनी मिलों के प्रबंधनों द्वारा लूट व अत्याचार की भयावहता की वास्तविकता का आकलन सरकार निष्पक्ष व ईमानदार किसी जज से कमिटी बना करा सकती है।
किसान नेता ने कहा कि चीनी मिलों की मनमानी रवैया से किसान अगर गन्ना की खेती से मुख मोड़ अन्य फसलों के तरफ अपना ध्यान केन्द्रित करते है तो झारखण्ड के बिहार से अलग होने के बाद से उद्योग धन्धों के नाम पर बचा चीनी उद्योग भी स्वतः बन्द हो जाएगा। राज्य उद्योग विहिन हो जाएगा। चीनी उत्पादन के मामले में देश में चौथा स्थान रखने वाला बिहार अब अपने गन्ना किसानों को विशेष सुविधा देने की माँग करता है ताकि चीनी की मिठास सिर्फ खरीदने वालों को न मिलकर गन्ना उत्पादक किसानों को भी मिल सके। सरकार जिस तरह चीनी मिलों को विभिन्न तरीके से सब्सिडी देती है ऐसे ही गन्ना उत्पादक किसानों को भी प्रति किवन्टल 200/-रूपया बोनस, खाद, बीज, कीटनाशक, खेत से मिल तक गन्ना लाने आदि के लिए विशेष प्रावधान करें ताकि किसान गन्ना की खेती के प्रति गम्भीर हो।
किसान नेता ने कहा कि केन्द्र सरकार भी गन्ना का फेयर एण्ड रेम्यूनेरेटिव प्राईस (एफ० आर० पी०) तय करने के दौरान भी चीनी मिल लॉबी के दबाव में काम कर रही है। ऐसे में मूल्य तय करते समय चीनी रिकवरी के साथ समझौता कर लिया जाता है, जिसके वजह से किसानों का पक्ष कमजोर रह जाता है। वर्ष 2000 के दौरान गन्ना रिकवरी 08.50 के आधार पर रेट तय होता था, जबकि वर्तमान में मोदी सरकार गन्ना रिकवरी 10.25 रख दिया जिससे किसानों को घाटा का सामना करना पड़ रहा है।
अतः आग्रह है कि गन्ना किसानों की पीड़ा समझते हुए निम्नलिखित माँगों पर गम्भीरता से विचार किया जाय। उन्होंने मांग किया है कि
1. गन्ना मूल्य 600/- रूपया प्रति किवन्टल किया जाय।2. गन्ना तौल के दौरान गुपचुप तरीके से वनज कटौती पर रोक के लिए गन्ना सेस के रूपये से चीनी मिलों के गेट पर सरकार व किसान संगठनों के देख-रेख में धर्मकांटा लगाया जाय।3. गन्ना प्रभेदों के मनमानी रोप व रिजेक्ट के खेल को बन्द किया जाय।4. चीनी मिलों के रासायनिक अवशिष्ट नदियों के पानी को प्रदुषित कर रहे है। नरकटियागंज चीनी मिल सिकरहाना नदी में अपना रासायनिक अवशिष्ट गिरा रहा है, इस पर कार्रवाई किया जाय।5. चम्पारण में गन्ना प्रभेद सी० ओ0-0238 लालसर रोग से बर्बाद हो गया। ऐसे में गन्ना किसानों को प्रति एकड़ एक लाख रूपया मुआवजा दिया जाय। 6. गन्ना किसानों का चीनी मिलों द्वारा विभिन्न तरह की लूट की जाँच के लिए किसी सिटिंग जज के नेतृत्व में कमिटी बना जाँच कराया जाय।7. गन्ना की खेती के लिए किसानों को विशेष संरक्षण दिया जाय।